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Saturday 29 June 2013

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नमक (भाग-1)







मैं
बोलीविया की
एक झील था,
झील में घुला
नमक
मेरे शब्द थे,
तुम पानी थे
जो उड़ गया.......
अब मेरे अंदर का
नमक
मीलों तक
पसरा है,
मेरी कवितायें
मेरे नमक का
हक़ अदा कर
रही हैं॥


                               - सिद्धान्त
                               

Friday 21 June 2013

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अनबन






एक रोज़
जो तुमने कहा था
कि फबते नहीं
रंग तुम पर,
बस उसी रोज से
रंगों से मेरी
अनबन है। 
अब एक मैं हूँ
तुम हो और
स्याह सब कुछ,
रात
मेरी कविताओं के
जंगल से  
डरावनी आवाज़े 
आती हैं॥

                         - सिद्धांत 
                       जून 20, 2013  

Friday 7 June 2013

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अलविदा







तुम्हारी
यादों के पुलिंदे
और एक ख़त
मेरी टाँण  पर
रखे हैं,
उसी टाँण पर
दाहिनी तरफ
तुम्हारे
कुछ मुट्ठी भर
गीत पड़े हैं,
आज जब
पानी बरसेगा
तो तुम्हारे
ख़त की नाव में
मैं वो पुलिंदे
तुम्हें भेज दूंगा।
सुनो.......
देर रात
अपनी खिड़की से
जब मैं
तुम्हारे गीत
गुनगुनाऊँ............
अपनी मुडेर पर आकर
तुम वो गीत भी
ले लेना।।

                                   - सिद्धांत
                                   जून ६ , २ ० १ ३
                                    रात्रि १ .३ ०